Wednesday 13 March 2013



दुनिया की मनमानी से 
रोज़ की आना कानी से 
बंद दरवाज़ों से 
खुले वीरानों से 

दूर, बहुत दूर 
इक छोटी सी खिड़की थी 
उस छोटी सी खिड़की से 
झाँका तो तुम दिखी 

नलके की टप टप से 
सुबह सुबह की सरपट से 
कागज़ से, कलम से 
कोल्ड कॉफ़ी की ज़रुरत से 

दूर, बहुत दूर 
इक छोटी सी खिड़की थी 
उस छोटी सी खिड़की से
झाँका तो तुम दिखी 

भीड़ में गूंजते ठहाकों के 
नींद झपकती आँखों के 
चुपके चुपके बातों के 
ख्वाबों की मीठी शुरुवातों के 

पास, बहुत पास 
इक छोटी सी खिड़की थी 
उस छोटी सी खिड़की से
झाँका तो तुम मिल गयी 



*Artwork CreditsSalvador Dalí (1904-1989). Woman at the Window at Figueres, 1926. Oil on board. 41 x 29 in. (104 x 73.7 cm). Gala-Salvador Dalí Foundation, Figueres, Spain.





1 comment:

Anonymous said...

Beautiful in its simplicity.