दुनिया की मनमानी से
रोज़ की आना कानी से
बंद दरवाज़ों से
खुले वीरानों से
दूर, बहुत दूर
इक छोटी सी खिड़की थी
उस छोटी सी खिड़की से
झाँका तो तुम दिखी
नलके की टप टप से
सुबह सुबह की सरपट से
कागज़ से, कलम से
कोल्ड कॉफ़ी की ज़रुरत से
दूर, बहुत दूर
इक छोटी सी खिड़की थी
उस छोटी सी खिड़की से
झाँका तो तुम दिखी
भीड़ में गूंजते ठहाकों के
नींद झपकती आँखों के
चुपके चुपके बातों के
ख्वाबों की मीठी शुरुवातों के
पास, बहुत पास
इक छोटी सी खिड़की थी
उस छोटी सी खिड़की से
झाँका तो तुम मिल गयी
*Artwork Credits: Salvador Dalí (1904-1989). Woman at the Window at Figueres, 1926. Oil on board. 41 x 29 in. (104 x 73.7 cm). Gala-Salvador Dalí Foundation, Figueres, Spain.
1 comment:
Beautiful in its simplicity.
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